May 1, 2024

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श्रावण मास में क्यों चढ़ाया जाता है शिवजी को गाय का दूध

बदनावर। यहां जैन धर्मशाला में श्रीलक्ष्मी गौशाला के तत्वावधान में चल रही सात दिवसीय गो कथा में सोमवार को संत स्वामी गोपालानंद सरस्वती की शिष्य श्रद्धागोपाल सरस्वती दीदी ने कथा के दौरान धार्मिक व सामाजिक मान्यताओं से जुड़े कई उद्धरण देते हुए बताया कि श्रावण मास में भोलेनाथ को गाय का दूध इसलिए चढ़ाया जाता है कि इस दूध में ताप की मात्रा अधिक होती है जिसे इंसान के पीने से अन्य व्याधियां पैदा होने का डर रहता है। जबकि महादेव स्वयं विषपान कर सकते हैं। इसलिए उनका गाय के दूध से अभिषेक किया जाता है।

दीदी ने यह भी कहा कि बारिश के बाद आने वाले दो-तीन महीनों में दूध तथा दूध से बने पदार्थ यथा दही, छाछ आदि का सेवन भी निषेध किया गया है।

आपने सनातन धर्म में गौ माता के महत्व के कई उदाहरण दिए। बताया कि यदि मनुष्य को कोई तकलीफ होती है तो वह देवताओं की शरण में जाता है। किंतु जब देवताओं को परेशानी आती है तो वे गौ माता की शरण में पहुंचते हैं। इसलिए हमें चाहिए कि हम भी गौमाता को पशु नहीं मानते हुए इसे माता ही समझकर सेवा पूजा करें।

उन्होंने इसी संदर्भ में एक और उद्धरण देते हुए बताया कि न्याय की देवी अहिल्या माता रोज की तरह सुबह मंदिर में पूजा कर रही थी तब गाय ने आकर बाहर घंटी बजाई। इस पर उनका ध्यान भंग हुआ और उन्होंने सेवादार से इस बारे में पता करने का पूछा कि गाय आखिर घंटी क्यों बजा रही है। जब गाय कुछ नहीं बता सकी तो चरवाहे को बुलाकर पूछा गया। उसने बताया कि आज जहां गाय ने बछड़े को जन्म दिया वहां से निकल रहे आपके इकलौते पुत्र के रथ के पहिया से बछड़ा कुचल गया था और इसी वेदना को लेकर गाय न्याय मांगने के लिए आई है। तब अहिल्या माता ने अपने पुत्र को बुलाकर वास्तविकता जानी और पुत्र ने भी घटना के बारे में बताया तब अहिल्या माता ने अपने पुत्र को भी इसी प्रकार रथ के पहिए से कुचलवा दिया। यह घटना इंदौर में हुई थी और उस स्थान को आज भी आड़ा बाजार के नाम से जाना जाता है।

दीदी ने एक अन्य घटना का उल्लेख करते हुए बताया कि राजा दिलीप गौ माता के परम भक्त थे। इसकी परीक्षा लेने के लिए एक बार गौ माता शेर का रूप धारण कर राजा के सामने प्रकट हुए और कहा कि मैं भूखा हूं। मुझे आहार चाहिए। मैं आपको खाऊंगा या गौमाता को। तब दिलीप ने स्वयं को मुकुट निकालकर शेर के सामने कर दिया। यह देख शेर पुनः गाय रूप में प्रकट हुआ और अपनी जीभ से राजा को दुलार करते हुए कहने लगा कि आप वास्तव में गौ माता के परम भक्त हैं। गौ माता की खातिर अपने प्राण त्यागने के लिए तैयार हो गए।

करीब 3 घंटे तक चलने वाली कथा के दौरान बड़ी संख्या में मौजूद महिलाओं ने कथा का रसास्वादन किया भजनों की प्रस्तुति भी दी गई। साध्वी श्रद्धा दीदी की गो कथा यहां पहली बार हो रही है। कथा सुनने के लिए आसपास के गांवों की महिलाएं भी आ रही है।

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