आपके सानिध्य में वर्ष 1955 में उज्जैन में विश्व धर्म सम्मेलन हुआ था उसके पश्चात पहली बार बदनावर पधारे थे
बदनावर। विश्व धर्म प्रचारक, जैन विभुति आचार्य सुशील कुमार जी जिन्होंने अपने जीवन काल में भारतीय धर्म और संस्कृति के मूल तत्व सत्य अहिंसा भाईचारे के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भगवान महावीर स्वामी के जियो और जीने के सिद्धांत का विश्वव्यापी प्रचार किया। आपके सम्मान में भारत सरकार द्वारा हाल ही में एक विशेष डाक टिकट जारी किया गया। जो पांच रुपए मुल्य वर्ग का है।यह डाक टिकट दिल्ली में एक समारोह में जारी किया गया।
उक्त जानकारी देते हुए डाक टिकट संग्राहक एवं वर्द्धमानपुर शोध संस्थान के ओम पाटोदी ने बताया कि 1983 में भारत के बाहर स्थित पहला जैन तीर्थ सिद्धाचलम की स्थापना का श्रेय आचार्य सुशील कुमार जी को दिया गया है। यह तीर्थ ग्रामीण न्यू जर्सी , संयुक्त राज्य अमेरिका में 108 एकड़ (44 हेक्टेयर) साइट पर स्थित है । बदनावर जैन समाज वरिष्ठ समाजसेवी पवन कुमार जैन ने श्री सुशील कुमार जी के बारे में अधिक जानकारी देते हुए बताया कि आचार्य अपनी विदेश यात्रा के पश्चात दो बार अपने विदेशी शिष्यों के साथ बदनावर पधारे थे और नगर में बड़ी धर्म सभा हुई थी। उन्होंने यह भी बताया कि उनके पिता श्री चांदमल जी फुलजी बा आचार्य के अनन्य भक्त थे ओर बदनावर के धर्म सभा में उपस्थित थे यहां तक कि आचार्य सुशील कुमार जी के देवलोकगमन पर फुलजी बा सा उनके अंतिम दर्शन करने के लिए दिल्ली भी गये थे। उन्होंने बदनावर आगमन का एक पुराना चित्र भी साझा किया।
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