बखतगढ़। जिनशासन गौरव आचार्यश्री उमेशमुनिजी के शिष्य एवं धर्मदास गणनायक प्रवर्तकश्री जिनेंद्रमुनिजी के आज्ञानुवर्ती तपस्वीश्री दिलीपमुनिजी एवं सेवाभावी अमृतमुनिजी ठाणा 2 का शेषकाल के दौरान मंगलवार 26 दिसंबर को दोपहर में बदनावर से विहार कर शाम को बखतगढ़ में मंगल प्रवेश हुआ। गौरतलब है कि मुनि वृंद का इस वर्ष रतलाम में वर्षावास था। वहां पांच माह का वर्षावास पूर्ण करने के वहां से विहार कर मुलथान, बदनावर आदि विभिन्न संघों में धर्म प्रभावना करने के बाद यहां मंगल पदार्पण हुआ है। श्रावक श्राविकाओं ने बदनावर रोड़ पर पहुंचकर चारित्र आत्माओं की अगवानी की। मार्ग में श्रावक श्राविकाएं श्रमण भगवान महावीर स्वामी, आचार्यश्री, प्रवर्तकश्री एवं मुनि वृंद की जय जयकार करते हुए चल रहे थे। मंगल प्रवेश यात्रा बखतगढ़ के श्री वर्धमान स्थानक भवन पहुंची। जहां संयमी आत्माओं को श्रीसंघ के श्रावक श्राविकाओं ने विहार की सुखसाता पूछकर मांगलिक श्रवण की।
पक्खी प्रतिक्रमण हुआ
संयमी आत्माओं के सानिध्य में बखतगढ़ के श्री वर्धमान स्थानक भवन में पक्खी प्रतिक्रमण हुआ। श्रावकों ने पक्खी का प्रतिक्रमण कर चौरासी लाख जीवायोनी से मिच्छामि दुक्कड़म करके संयमी आत्माओं एवं एक दूसरे से खमत खमावणा किया। पश्चात चौवीसी स्तुति, गुरु गुणगान, धार्मिक स्तवन, कल्याण मंदिर आदि स्तुति का लाभ लिया।
प्रातः 9 :15 बजे होंगे व्याख्यान
यहां स्थानक भवन पर मुनि वृंद के प्रातः 9 : 15 बजे व्याख्यान होंगे। श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ ने सभी श्रावक श्राविकाओं से अनुरोध किया कि अधिक से अधिक संख्या में स्थानक भवन पहुंचकर संयमी आत्माओं के दर्शन, वंदन, मांगलिक, व्याख्यान, ज्ञान चर्चा आदि का लाभ लेवे।
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