बदनावर। गत वर्ष कोरोना संक्रमण के चलते हर कार्य में विराम लगने के साथ तपस्या पर भी मानो जबरदस्त अवरोध आ गया था। किन्तु इस वर्ष वर्षावास के चलते विशेषकर पर्युषण पर्व के दौरान जहां चारित्र आत्माओं का वर्षावास हैं, वहां उनकी प्रेरणा से तपस्वी आत्माएं तप में रम गई और अपनी शक्ति अनुसार तपस्या करने का लाभ लिया। इसी श्रृंखला में मध्यप्रदेश जैन पत्रकार संघ के प्रदेश सहसचिव दिलीप दरड़ा बखतगढ़ की बहन इंदुबाला सुनील लोढ़ा ने नागदा जंक्शन में विराजित मुनिश्री चंद्रयशविजयजी एवं जिनभद्रविजयजी ठाणा 2 के सानिध्य में केवल गरम जल के आधार पर निराहार रहते हुए सिद्धि तप किया। इस तप में एक उपवास के बाद बियासन से पारणा एवं इसी तरह दो, तीन, चार, पांच, छः, सात एवं आठ उपवास के बाद क्रमशः प्रत्येक तप के बाद अगले दिन बियासन से पारणा किया जाता हैं। इस कठोरतम 45 दिन के तप में मात्र 8 दिन ही और वह भी एकासन या बियासन तप के रूप में आहार ग्रहण करना होता हैं। नागदा जंक्शन में कुल 101 सिद्धि तप के अलावा अन्य कई छोटी बड़ी तपस्याएं हुई। जो नागदा जंक्शन के इतिहास के पन्ने पर अंकित हो गई। इसी तरह प्रदेश सहसचिव दरड़ा की बेटी अपर्णा विनीत खेमेसरा छोटीसरवा ने कुशलगढ़ में साध्वीश्री अर्हतप्रियाश्रीजी, निर्मोहदृष्टाश्रीजी एवं समदृष्टाश्रीजी आदि ठाणा 3 के सानिध्य में निरंतर निराहार रहते हुए केवल गरम जल के आधार पर 9 उपवास तथा बखतगढ़ गौरव साध्वीश्री स्तुतिश्रीजी की सांसारिक भांजी श्रेया कमलेश नाहटा ने 11 उपवास पूर्ण किए। वहां 7 तपस्वियों ने सिद्धि तप की कठोर तपस्या करने के अलावा कई तपस्वियों ने अन्य तपस्याएं करने का लाभ लिया। दोनों स्थानों पर तपस्वी आत्माओं के तप की अनुमोदना करने हेतु बखतगढ़ से श्रावक, श्राविकाएं व बच्चे वहां गए एवं संयमी आत्माओं के दर्शन, वंदन, मांगलिक, व्याख्यान आदि का लाभ लेकर तप अनुमोदनार्थ विभिन्न त्याग, प्रत्याख्यान, नियम आदि भी ग्रहण किए।
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