October 19, 2024

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विष से विषय और पाप से पाखंड ज्यादा खतरनाक है, मोबाइल ओर फैशन ने लोगों का धर्म से रास्ता भटकाया – पं प्रभु जी नागर

भागवत की कथा के पांचवे दिन रात्रि में जाप उत्सव का आयोजन की जायेगा जिसकी शुरुआत तिलगारा से हुई

 

बदनावर / तिलगारा। विष से विषय क्यों खतरनाक है पहले के राजा महाराज दुश्मनों को परास्त करने के लिए सेना के साथ दो चार ऐसी विषकन्या भी तैयार कर लेते थे जो बहुत ही सुंदर होती थी जिनको थोड़ा थोड़ा विष रोज दिया जाता था कि वो मरे नही उनके शरीर में विष स्थान बना लेता था जिसमे थोड़ी थोड़ी मात्रा बढ़ा करके दी जाती थी ।जा राजा को लगता कि किसी को धोके से मरना है इस पर सुरा सुंदरी का उपयोग करते थे और विष कन्या कों भेज देते थे जिसका नाखून लगने से ही सामने वाला मार जाता था। ठीक इसी प्रकार विषय गामी पुरुष विष कन्या से कम नहीं जो दुराचारी है गलत आदत हे यदि आप इसका संघ करते हैं या उसकी संगत में आते हैं तो आप भी उसी की भांति बन जाते हो इसलिए सावधान रहो। संगत उसी की करना जो सतोगुणी हैं जिनके पास पाप की कमाई नहीं है तो आपका जीवन सफल हो जायेगा। तिलगारा में चल रही श्रीमद् भगवत कथा के छठे दिन पंडित प्रभु जी नागर ने कही। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि देवताओं से राक्षसों के पास ज्यादा सिद्धियां थी और उनके गुरुओं में एक विद्या ज्यादा थी लेकिन पतन क्यों हुआ केवल विषय के कारण। सब कुछ होते हुए भी विषय में ऐसा उत्पात मचाया कि सब कुछ खत्म हो गया। उसी प्रकार पाप और पाखंड भी है पाप तो आप गंगा में धूल जायेगें परंतु पाखंड कहां धोने जाओगे। अंधेरे से तो तुम निकल सकते हो कोहरे से कैसे बचोगे।

कलिकाल में पाखंड बढ़ता जा रहा है न ज्ञान है ना भक्ति है ना परोपकार सब पीछे रह गए हैं लेकिन पाखंड निरंतर आगे बढ़ता जा रहा है आजकल संसार में एक ही विद्या चल रही है ठग विद्या जिसे तुम लोग ठगा रहे हो आज सोना चांदी किराना सामान लेने में आप नहीं ठगाओगें लेकिन गलत लोगों के पाप और उनके साथ रहने के कारण आपकी बुद्धि भ्रष्ट हो जाएगी। 3 लोगों से दुख सहन नहीं होते जबकि महाऋषियों से दोष सहन नही होते हैं।

मोबाइल ओर फैशन से लोग रास्ता भटक गए

आज की नौजवान पीढ़ी कहां जा रही है मोबाइल ने इनकी जिंदगी बदल दी है पहले लोग मंदिर जाते थे वह मूर्तियों को हाथ में लेते थे भगवान के भजन और भक्ति करते थे लेकिन आज की पीढ़ी मोबाइल हाथ में रखती है और क्या क्या देखती है यह मुझे बताने की जरूरत नहीं है मीराबाई की शुरुआत मूर्ति से ही हुई थी और अंत में मूर्ति में ही समा गई ।

कथा नौका का काम करती है जबकि शब्द पार लगाने का काम करते हैं धर्म का काम खर्चा जोड़ने से नहीं होता है वह केवल हाथ जोड़ने से हो जाता है भगवान की कथा एक चिंतन शिविर है जिसमें हमारे द्वारा किए गए अवगुण भूलते हैं और हम का चिंतन करते हैं।

शुक्रवार रात्रि में कथा पंडाल में जाप उत्सव में का आयोजन किया गया जिसमे तिलगारा सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु ने भाग लिया। श्रीमद् भागवत मुख्य यजमान श्रीमती गीता पति स्व: जगदीश, श्रीमती नर्मदाबाई पति लक्ष्मण , श्रीमती मनीषा पति बंशीलाल ,श्रीमती शांति पति नंदाराम , श्रीमती शकुंतलाबाई रामेश्वर , श्रीमती निरकांता रामगोपाल ,श्रीमती बसंतीबाई हरिराम।

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