May 4, 2024

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लेबड-जावरा-नयागांव फोरलेन पर टोल बंद करने हेतु उच्च न्यायालय मे पुर्व विधायक पारस दादा ने लगाई याचिका

रतलाम । लेबड-जावरा और जावरा-नयागांव फोरलेन पर लागत से कई गुना ज्यादा टोल संग्रह होने पर पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने माननीय उच्च न्यायालय , इन्दौर में पिटीशन क्रमांक 6312/2022 दायर कर , मांग की कि इन दोनों मार्ग पर टोल संग्रह बंद किया जाए ।माननीय उच्च न्यायालय में सकलेचा ने कहा की लेबड – जावरा रोड की लागत ₹ 605 करोड़ है । 31 जनवरी 2021 तक उस पर ₹1315 करोड़ याने लागत का 217% टोल वसूला जा चुका है ।इसी प्रकार जावरा नयागांव फोरलेन जो ₹450 करोड़ में बनी थी उस पर 31 जनवरी 2021 तक ₹1461 करोड़ याने लागत का 324% संग्रह चुका है ।जबकि डीपीआर में जिस आधार पर अवधि 25 वर्ष याने 2033 तय की गई थी , उसमे इस अवधि तक लागत का 80% संग्रह ही दिखाया गया था । उससे क्रमश तीन तथा चार गुना टोल वसूला जा चुका है ।सकलेचा ने अपनी पिटीशन में कहा कि शासन ट्रस्टी के रूप में भूमि का उपयोग जनता की भलाई के लिए कर सकता है , लेकिन वह कुछ व्यक्तियों को अनावश्यक लाभ पहुचाने के लिए भूमि का उपयोग नहीं कर सकता । संविधान के अनुसार कल्याणकारी राज्य में प्राकृतिक संसाधन जनता की संपत्ति है , और उसका उपयोग शासन की रेवेन्यू बढ़ाने के लिए और निजी व्यक्तियों को लाभ पहुंचाने के लिए नहीं किया जा सकता है ।इंडियन टोल एक्ट 1851 के सेक्शन 2 के बारे में विभिन्न उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में स्पष्ट कहा है कि , शासन को रोड और ब्रीज पर टोल लगाने का असीमित अधिकार नहीं है । उसके निर्माण में लगी राशि , उसका प्रबंधन , तथा उसके ऊपर होने वाला ब्याज खर्च , इतना वसूल करने का अधिकार है । शासन अपने अधिकार का असीमित उपयोग कर , जनता से अनावश्यक वसूली कर , किसी व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने का कार्य नहीं कर सकता है । सकलेचा ने माननीय उच्च न्यायालय से कहा कि उक्त दोनों फोरलेन पर लागत से 250% से 350% टोल मात्र 11 साल में वसुल हो चुका है । और अगर पूरी अवधि 2033 तक टोल वसूली होती रहे तो दोनों रोड पर क्रमशः ₹ 3800 करोड़ तथा ₹ 4600 करोड़ राशि की वसुली होगी ।सकलेचा ने माननीय उच्च न्यायालय से अनुरोध किया किदोनों मार्ग पर टोल वसूली बंद की जाए ।सकलेचा की पिटीशन पर 23 मार्च को माननीय हाईकोर्ट में एडमिशन हेतु सुनवाई होना थी , लेकिन क्रम ना आने से अब यह सुनवाई 30 मार्च को होगी ।

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