बदनावर। दिगंबर जैनाचार्य श्री प्रणाम सागर जी महाराज ने हाल ही में जन-जन की आस्था के केंद्र व चमत्कारिक श्री भक्तामर स्तोत्र के ४८ स्त्रोत को ४८००० मीटर सुती कपड़े पर ४८००० लोगों द्वारा हस्तलेखन करने के महा अभियान की घोषणा इंदौर चातुर्मास के दौरान ड्रीम वर्ल्ड में जैन कालोनी समाज द्वारा एक गरिमामय समारोह में की। जिसमे इन्दौर सहित देश के कई गणमान्य नागरिकों ने हिस्सा लिया जिसमें धार व बदनावर के समाजजन ने भी सहभागिता की।उक्त जानकारी देते हुए दिगम्बर जैन समाज ने सचिव ओम पाटोदी ने बताया कि प्राचीन धारा नगरी (वर्तमान का धार) मे जैनाचार्य श्री मानतुंग स्वामी ने सातवीं शताब्दी विश्व प्रसिद्ध श्री भक्तामर स्तोत्र की रचना की थी। उस समय भोपाल नगरी पर राजा भोज राज्य करते थे। भक्तामर स्तोत्र की रचना के संबंध में कई रोचक लोककथाएं कही जाती है जिसमें राजा भोज द्वारा जैनाचार्य को बंदी बनाना ओर आचार्य श्री द्वारा बंदीगृह में इस महान स्त्रोत की रचना करना और उसके प्रभाव से बंदीगृह के ताले अपने आप खुल जाना और राजा द्वारा अपनी भूल के लिए आचार्य श्री से क्षमायाचना करना यह कथा सर्वाधिक लोकप्रिय है।पाटोदी ने बताया कि भक्तामर स्तोत्र के चमत्कारी प्रभाव के कारण इस स्त्रोत की प्रसिद्धि सिर्फ जैन समाज में नहीं है जन जन में इसके प्रति आस्था है यहां तक कि विदेशी मे तो मानव जीवन पर इसके चमत्कारी परिणामों को लेकर कई शोध हो रहे हैं। हाल ही मैं जर्मन में हो रहे शोध से यह सिद्ध किया गया कि इस स्त्रोत का सकारात्मक असर कैंसर रोगियों पर पड़ता। भक्तामर हस्तलेखन अभियान के प्रारम्भिक चरण में आचार्य श्री द्वारा मात्र ४८ लोगों से भक्तामर लिखने को कहा गया था जिसमें बदनावर नगर के ओम पाटोदी व बेटी चहेती पाटोदी ने यह अवसर प्राप्त किया वहीं चहेती पाटोदी ने एक ही दिवस में स्त्रोत लिख कर आचार्य श्री प्रणाम सागर जी का आशीर्वाद प्राप्त किया।
More Stories
श्री ब्राह्मण समाज द्वारा 10 मई को भगवान श्री परशुराम का जन्मोत्सव धूमधाम से मनायेगा
बदनावर में 16 मई से शुरू होगा BPL टूर्नामेंट,10 टीमें भाग लेंगी
कोटेश्वर महादेव धाम बन सकता है धार्मिक पर्यटन केंद्र