बदनावर। मास्क तो सिर्फ वायरस से बचाता है, लेकिन प्रभु की माला 84 लाख योनी से बचायेगी। l यह बात श्री प्रभुजी नागर ने भागवत कथा में उपस्थित जन समुदाय को भागवत कथा के छठवे दिन श्रोताओ के बिच सरल शब्दो में कही। प्रवचन में संतश्री ने कहा कि पिता की मृत्यु होने पर पुत्र पिता को मुखाग्नि देता है। किंतु आज नव युवक अपने कडवे शब्दौ से पिता को रोज मुखाग्नि देते है तथा घंटों व्यर्थ समय गवाने के बाद चंद मिनट बचाने का प्रयास करते है। मनुष्य को अपने जीवन में कार्यशैली अच्छी होनी चाहिए जीवन में 3 शैली कार्य शेली, वाक शेली, व्यवहार शेली। सिद्धी मिलना बहुत सरल है, लेकिन भगवान के चरणो मे प्रेम और अविचल भक्ती प्राप्त करना बहुत कठीन है। ’स’ से सीता ’र’ से राम तथा ’ल’ से लक्ष्मण होता है इस लिये सरल हृदय के बनो मनुष्य को सरल बनना चाहीये। भगवान वेद से नही रिझता बल्की भगवान वेदना से रिझता है। चार वेद का ज्ञान किसी काम का नही भगवान की भक्ती ही काम की है। वेदपडना आसान है, पर किसी की वेदना पडना मुश्किल है। भगवान जिसे कष्ट देता है, उसे कष्ट सहन करने कि शक्ती भी देता है। विश्व कि सबसे बडी शक्ती अणु, परमाणु नही बल्की सहन शक्ती है। जो वह सिर्फ ठाकुरजी देते है। ईश्वर के प्रति आस्था और विश्वास रखने का श्रृद्धलुओ से अनुरोध किया। बिच बिच मे सुंदर मधुर भजनों से जनसमुदाय मंत्रमुग्ध होकर झूमउठा। कथा समापन के बाद मंदिर परिसर में पौधरोपण किया गया। शाम को पूर्णाहुति यज्ञ शुरू हुआ। यह रात भर चलेगा। भजन संध्या भी होगी। शनिवार को गांव वालो की तरफ से कथा समापन पर कथावाचक प्रभुजी नागर और सेवादारों का नागरिक अभिनंदन किया जाएगा।
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