May 16, 2024

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हर चीज मे मिलावट हो सकती है,परंतु भगवान कि भक्ती और नाम मे कभी मिलावट नही हो सकती है-संत श्री नागर

ये कलीकाल की सत्ता है और सनातन धर्म विपक्ष मे बेठा है

बदनावर। संदला मे चल रही भागवत कथा के अंतीम दिन श्रोताओ के बिच कथा में संत श्री प्रभुजी नागर ने कहा की ये कलीकाल की सत्ता है और सनातन धर्म विपक्ष मे बेठा है। इसमे पापी, अत्याचारी व दुराचारी का प्रकोप ज्यादा है। मंदीर आज भक्तों से खाली हो गया, परंतू शराब और होटल लोगो से भरे हुए है। ये सब कलीकाल का प्रभाव है। आज मंदिर मे घंटी बजाने वाला नही है। कलीकाल भगवान के नाम से बहुत डरता है। इस लिये भगवान की भक्ती और सानिद्य मे लगे रहो।शास्त्र मे मिलावट हो सकती है, प्रसाद मे मिलावट हो सकती है, कथा मे भी मिलावट हो सकती है, यहातक की हर चीज मे मिलावट हो सकती है। परंतु भगवान कि भक्ती और नाम मे कभी मिलावट नही हो सकती है। संत ने कहा की चोर को चोरी करने मे अडचन, रूकावट नही आती है। जबकी धार्मीक कार्य मे बहुत सी अडचने रूकावटे आती है। इससे प्रतीत होता है। कि कलीकाल का बहुत ज्यादा प्रभाव है। इस लिये अधीक से अधीक भगवान का नाम और भक्ती करनी चाहीये। अगर तुम्हारे नाम मे बल आ जाये तो आपका हर काम 21 सा होगा। जो आनन्द ईन्तजार मे है, वा मिलने मे नही है। क्योकी मिलन से कही अधीक इंतजार सर्वश्रेष्ठ, इंतजार मे ही आकांशा और विश्वास है। क्योकी मिलने के बाद तो विरह का डर शुरू हो जाता है। इस लिये ईन्तजार ही श्रेष्ठ है। अंत मे भजन प्रभु तेरा द्वार ना छूटे रे, प्रभु तेरा द्वार ना छूटे रे ।छुट जाये संसार सब, प्रभु तेरा द्वार ना छूटे रे।।भजन पर उपस्थीत श्रद्धालुओ की आंखे नम हो गई। संत श्री ने ईश्वर के प्रति आस्था और विश्वास रखने का श्रृद्धलुओ से अनुरोध किया बिच बिच मे संत श्री द्वारा सुंदर मधुर भजनो से उपस्थीत सत्संग के प्रारम्भ मे महेन्द्रसिंह चाचुबना पुर्व उपाध्यक्ष तीर्थ एवं मेला प्राधीकरण एवं समिति के सदस्यो ओर यजमान परिवार द्वारा संत श्री का अभिनन्दन पत्र एवं शाल श्रीफल से स्वागत किया। और पुरूष व महिला यजमानो का भी गॉव कि तरफ से कुलदीपसिंह पिपलीपाडा, गोविंद पाटीदार, कांतीलाल पाटीदार द्वारा सम्मान किया गया एवं अभिनन्दन पत्र का वाचन जगदीश पाटीदार एवं पाटीदार समाज एवं समस्त ग्रामवासियों द्वारा किया गया। अंत मे श्रद्धालुओ का एवं समिति के सेवको का आभार महेन्द्रसिंह चाचुबना पिपलीपाड़ा द्वारा किया गया। विभीन्न ग्रामों से बडी संख्या मे श्रृद्धालु सुनने के लिये आये थे।शुक्रवार को कथा समापन के बाद मंदिर परिसर में संत श्री द्वारा पौधरोपण किया गया। पूर्णाहुति यज्ञ भजन संध्या भी हुई।

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