बदनावर। यहां जैन धर्मशाला में चल रही सात दिवसीय गौ कथा के पांचवे दिन कल शाम साध्वी श्रद्धागोपाल सरस्वती दीदी ने श्रोताओं को गौ दान का महत्व तथा महिमा बताते हुए कई प्रसंगों का उल्लेख किया।
आपने कहा कि गौ दान का सिलसिला अनंत काल से चला आ रहा है। राम सीता के विवाह के दौरान भी राजा जनक ने कन्यादान के साथ ही असंख्य गायों का दान किया था। आज भी यह परंपरा कायम है। किंतु हम सनातन धर्म का पालन करने वाले लोग पाश्चात्य संस्कृति के चक्कर में पड़कर इन्हें भूलते जा रहे हैं। अपने धर्म ग्रंथों में भी कई अवसरों पर गौ दान का महत्व बताया गया है।
ब्राह्मण कुल में जन्म लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए यह आवश्यक है कि वह कम से कम दो गायों का पालन करें। किंतु आज यह देखने में आ रहा है कि गायों का पालन पोषण करने से हर परिवार कोई न कोई नहीं बहाना कर दूर होता जा रहा है।
साध्वी दीदी ने गाय को पहली रोटी देने, उसकी परिक्रमा व पूजा करने के साथ ही अन्य कई पौराणिक प्रसंगों का जिक्र किया। कथा सुनकर महिलाओं को भी यह प्रसंग याद आए। जो उन्होंने अपने घर परिवार में कभी न कभी परिवार के बुजुर्ग सदस्यों से सुने थे। कथा का समापन गुरुवार को होगा। प्रातः 8 बजे कथा शुरू होगी। आयोजन श्रीलक्ष्मी गौशाला ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है।
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