बदनावर।प्रभु ने हमें जीवन जीने की कला का संकेत दिया, लेकिन हमने आज तक उस कला को समझने का प्रयास नहीं किया है । हम ग्रहण करने योग्य बातों को छोड़कर चले जाते हैं और जहां सांसारिक जीवन में कदम कदम पर शुल पर चलते चले जाते हैं । हमारा रमन उसी में रहता है, हम कर्म बंधन करते चले जाते हैं । जीवन जीने की कला धर्म में है, हम सत्संग के माध्यम से उसे जान सकते हैं । जो जागृत होता है सजग होता है वह से ग्रहण कर लेता है और उस मार्ग पर चलकर कर बंधनों से मुक्ति पा लेता है ।
उक्त विचार धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्य श्री रामलाल जी महाराज साहब के शिष्य श्री प्रकाश मुनि जी महाराज साहब ने समता भवन बदनावर में व्यक्त किये । आपने कहा कि जब तक धर्म से जुड़ाव नहीं होगा मन के विकार कम नहीं होंगे । आसक्ति कम नहीं होगी। हम धर्म के नजदीक और नजदीक पहुंच पाएंगे ।
श्री किशोर मुनि जी महाराज साहब ने कहा कि यह संसार पुण्य और पाप का रंगमंच है । हम संसारी क्रियाओं में फसते चले जाते हैं, मन को साधना का केंद्र बनाओ हमारा जीवन सुख और शांति से के साथ व्यतीत होगा ।
धर्म सभा का संचालन मंत्री अनिल लुनिया द्वारा किया गया ।
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