उज्जैनी है कई धार्मिक विचार धाराओं की आस्था का केंद्र
बदनावर। उज्जैन का महत्व न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही नहीं है, बल्कि यह नगर वैज्ञानिक, प्राकृतिक और भौगोलिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। महाकाल मंदिर क्षेत्र को पृथ्वी का सेंटर पाइंट या नाभि कहा जाता है। क्योंकि कर्क रेखा यही से गुजरी है ऐसा माना जाता है। महाकाल के इस केंद्र में स्थित शहर में ज्योतिष की शुरुआत और विकास हुआ। उज्जैन ने भारत और विदेशों को समय की गणना की प्रणाली प्रदान की है।उज्जैन के इस प्रकार के प्राकृतिक भौगोलिक और ज्योतिषीय महत्व को समझने की आवश्यकता है।
उक्त जानकारी देते हुए डाक टिकट संग्राहक ओम पाटोदी ने बताया कि यही पर हिन्दू धर्म के साथ साथ ही जैन धर्म और बौध्द धर्म भी पुष्पित पल्लवित हुए हैं। जैन धर्म के अन्तिम तीर्थंकर श्री महावीर स्वामी कि यह तपोस्थली रहीं हैं। इस नगरी को मुस्लिम आक्रांताओं ने कई बार लुटा और नष्ट किया है। हाल ही में महाकाल लोक का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकार्पण किया। इस अवसर पर डाक विभाग द्वारा एक विशेष आवरण जारी किया गया है। इसे महाकाल लोक के चित्रों से सुसज्जित किया गया है।
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