तिलगारा कलश यात्रा के साथ शुरू हुई भागवत कथा
बदनावर (राजेश चौहान) । बड के वृक्ष को आप सभी जानते हैं भागवत कथा भी बड़ के वृक्ष की तरह ही है बड़ के वृक्ष में उदारता होती है त्याग होता है बड़ के वृक्ष के नीचे भगवान शिव और भगवान कृष्ण भी विराजमान रहते हैं तथा माता बहने भी बड़ के वृक्ष की परिक्रमा करती है एक बड के वृक्ष से कुछ साल बाद दो-तीन वृक्ष हो जाते हैं बड़ की जड़ जब जमीन को स्पर्श करती है तो वह एक नये वृक्ष के रूप बदलने लगता है उसी प्रकार कथा को सुनने वाला व्यक्ति बड़भागी है उक्त बात तिलगारा में चल रही सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिवस पंडित प्रभु जी नागर ने कही ।
पंडित नागर ने मधुमक्खी और दिमक का उदाहरण देते हुए कहा कि लोगों को मधुमक्खियों की तरह व्यस्त होना चाहिए ना की दीमक की तरह क्योंकि मधुमक्खी व्यस्त रहकर शहद बनाने का काम करती है जिसका उपयोग एक औषधि के रूप में होता है लेकिन दिमक व्यस्त रहकर जमीन को खोखला करती है। यह आप लोगों पर निर्भर करता है कि आप को दीमक की तरह काम करना है या मधुमक्खी की तरह।
भागवत कथा के पूर्व ग्रामीणो एवं समिति द्वारा बेंड बाजो के साथ कलश यात्रा एवं भागवत पोथी की शोभायात्रा निकाली गई कलश यात्रा में मालवा दरबार बेंड द्वारा इस से बढ़कर एक भजनों की प्रस्तुति दी जिसपर महिला पुरुष खूब थिरके कलश यात्रा श्री कृष्ण मंदिर नयापुरा से प्रारंभ हुई जो गांव के मुख्य मार्ग से होते हुए कथा स्थल पहुंची इस दौरान यजमानों द्वारा भागवत कथा की पोथी को सिर पर लेकर चल रहे थे। कलश यात्रा और पोथी का जगह-जगह पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया भागवत कथा सुनने के लिए तिलगारा सहित आसपास के सैकड़ों लोग शामिल हुए।
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