तपस्वी के तप की संयमी आत्माओं के साथ सभी ने की अनुमोदना
बदनावर। एक छोटा सा नवकारसी जैसा तप करना भी हर किसी के लिए सरल कार्य नहीं है। वहीं गच्छाधिपति श्रीमद् विजय नित्यसेन सूरिश्वरजी म. सा. व आचार्य श्रीमद् विजयजयरत्न सूरिश्वरजी म. सा. की आज्ञानुवर्तिनी साध्वीश्री तत्वलताश्रीजी, कुसुमलताश्रीजी, राजयशाश्रीजी, जिनांगयशाश्रीजी, करूणायशाश्रीजी ठाणा 5 की प्रेरणा से नागदा जंक्शन में बखतगढ़ की बेटी एवं जैन पत्रकार संघ के प्रदेश सहसचिव दिलीप दरड़ा बखतगढ़ की बहन इंदुबाला सुनील लोढ़ा ने कठोर “श्रेणी तप” पूर्ण किया। तप अनुमोदना के लिए बखतगढ़ से भी श्रावक श्राविकाएं नागदा जंक्शन जाएंगे। तपस्वी इंदुबाला ने यूं तो विभिन्न तपस्याओं के अंतर्गत अब तक दो मासक्षमण तप, दो उपधान तप, दो वर्षीतप, दो सिद्धि तप, नवपद ओलीजी नौ, पंचमी पांच साल पांच माह के अलावा 17 उपवास, 11 उपवास, 9 व 8 उपवास 15 बार एवं कई तेले सहित छोटी-बड़ी अनेक तपस्याएं की है। अर्थात उक्त तपस्वी बहन पुण्यवानी के चलते तप में रम गए हैं। वहीं दूसरी तपस्वी मधुबाला अमृतलाल ओस्तवाल ने छोटी बड़ी अनेक तपस्याएं की है। गौरतलब है कि संयमी आत्माओं की प्रेरणा से दोनों तपस्वी ने यह तपस्या वर्षावास प्रारंभ के प्रथम दिवस 12 जुलाई 2022 से प्रारंभ कर दी थी, जो 31 अक्टूबर को “112 दिनों” में पूर्ण हुई। दोनो तपस्वी का 1 नवंबर को पारणा होगा। इस तप में तपस्या की “सात लड़ी” चलती है। इसके अंतर्गत पहली लड़ी में एक उपवास से प्रारंभ होकर सातवीं लड़ी तक बढ़ते क्रम में चलकर उपवास की तपस्या होती है। पहली लड़ी में 1 उपवास करके बियासन से पारणा करना, दूसरी लड़ी में 1 उपवास करके-पारणा, 2 उपवास करके-पारणा करना, तीसरी लड़ी में 1 उपवास-पारणा, 2 उपवास-पारणा, 3 उपवास-पारणा, चौथी लड़ी में 1 उपवास-पारणा, 2 उपवास-पारणा, 3 उपवास-पारणा, 4 उपवास-पारणा, पांचवी लड़ी में 1 उपवास-पारणा, 2 उपवास-पारणा, 3 उपवास-पारणा, 4 उपवास-पारणा, 5 उपवास-पारणा, छठी लड़ी में 1 उपवास-पारणा, 2 उपवास-पारणा, 3 उपवास-पारणा, 4 उपवास-पारणा, 5 उपवास-पारणा, 6 उपवास-पारणा, सातवी लड़ी में 1 उपवास-पारणा, 2 उपवास-पारणा, 3 उपवास-पारणा, 4 उपवास-पारणा, 5 उपवास-पारणा, 6 उपवास-पारणा, 7 उपवास करके बितासन से पारणा और फिर अंतिम सातवी लड़ी के 7 उपवास के बियासन से पारणे का पारणा अर्थात उक्त “श्रेणी तप” का 113 वें दिन 1 नवंबर को पारणा होगा। इस प्रकार उक्त तप में “84 दिन उपवास” व “28 दिन पारणे” के आते है और इसमें “पारणा भी बियासन तप” से ही किया। वहीं इस तप के दौरान प्रतिदिन णमो अरिहंताणं की 20 माला गिनना, 12 स्वस्तिक, 12 खमासमणा एवं 12 लोगस्स का काउसग्ग करना आदि होता है। दोनो तपस्वी द्वारा किए उक्त कठोर “श्रेणी तप” की संयमी आत्माओं के साथ श्रावक श्राविकाओं ने साता पूछते हुए बहुत बहुत अनुमोदना करके यह तप तपस्वी के लिए सुख, समृद्धि के साथ मंगलकारी, कल्याणकारी व आत्म लक्ष्य” को प्राप्त करने के लिए कर्म निर्जरा का हेतू बनने की कामना की।
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