बदनावर। दसई में एकादशी के अवसर पर दसई के विभिन्न मंदिरों से आकर्षक झूले सजे । गंगा जलिया पर 7 बजे सामूहिक स्नान के बाद झुलों का नगर भ्रमण आरंभ हुआ। रास्ते में जगह-जगह लोगों ने भगवान की खोल भराई । इस अवसर पर पंजीरी की विशेष प्रसाद बांटी गई। सुरक्षा व्यवस्था मैं बड़ी संख्या में पुलिस जवान और अधिकारी लगे रहे ।
नगर में देव झुलनी एकादशी पर झूले निकलने का इतिहास दशकों पुराना है । पूर्व काल में जब नगर में सड़के नहीं थी और साधनों के अभाव में भगवान को तरवाने में बिठाकर कंधों पर पालकी रखकर भ्रमण करवाया जाता था । समय बदला तो बैलगाड़ियों में झूले निकलने लगे आधुनिकता के इस दौर में पालकी का स्थान नयनाभिराम झूलों ने ले लिया । नगर के 19 मंदिरों से निकलने वाले झूलो को 8 दिनों पूर्व से ही आधुनिक साज-सज्जा और आकर्षक बनाया जा रहा था । शाम 6 बजे बाद सभी झूले परंपरागत रूप से गंगाजलियां पहुंचे । जहां इच्छा पूर्ण मंदिर परिसर में देव स्नान के बाद आरती की गई । झुलो का तेजाजी चौक मंदिर से नगर प्रवेश हुआ । नया बाजार मैं हजारों की तादात में लोग देवदर्शन को उमड़े । हाथों में गेहूं की कटोरी और उसमें फल और नकदी भेंट चढ़ा कर लोगों ने खोल भराई । झूले से परंपरागत रूप से पंजीरी आदि की प्रसाद बांटी गई ।
रास्ते मे स्वागत मंच समिति की ओर से सभी श्रद्धालुओं को फरियाली लड्डू बातें गए साथ ही सभी मंदिर के पुजारियों को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया
स्वागत मंच समिति द्वारा लगातार 7 वर्षों से सभी मंदिर के पुजारियों का सम्मान कीया जा रहा है इसके साथ ही अति प्राचीन चिंतामन गणेश मंदिर परिसर में चिंतामन गणेश समिति द्वारा फरियाली खिचड़ी का वितरण किया गया साथ ही नीम चौक पर नीम चौक समिति के द्वारा भी सभी मंदिर के पुजारियों का सम्मान किया गया एवं नीम चौक पर झुलो का समापन हुआ । जानकारी जगदीश पटेल ने दी।
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