1857 से भी लगभग एक शताब्दी पूर्व के संग्राम के एक गुमनाम सेनानी है, ओंडिवीरन पगडाई
बदनावर। तमिलनाडु के अरुंथथियार समुदाय में एक नायक के रूप में पहचान बनाने वाले ओंडिवीरन पगडाई एक भारतीय कमांडर-इन-चीफ थे, जिन्होंने तमिलनाडु के तेनमलाई में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। यह तमिलनाडु में शुरूआती दौर के लड़ाई थी। जिसमें उन्होंने जीत भी हासिल कि परन्तु अंग्रेजों ने अपनी कुटनिति से बार बार जाल बिछाया। वसुथेवा नल्लूर में स्थित अपने किले से पूलिथेवन को गिरफ्तार कर लिया। उसका सिर कलम कर दिया गया तब ओंडिवीरन पगडाई राजा बना। ओंडिवीरन ने ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ 11 महान युद्ध लड़े और 20 अगस्त 1771 को युद्ध के मैदान में वीरतापूर्वक लड़ते हुए शहीद हो गए लेकिन फिर भी अपनी सेना को जीत की ओर ले गए।
उक्त जानकारी देते हुए डाक टिकट संग्राहक ओम पाटोदी ने बताया कि भारतीय डाक विभाग द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर अब तक आजादी के कई गुमनाम नायकों को याद करते हुए उन पर विशेष डाक सामग्री जारी कि है इसी तारतम्य में तमिलनाडु के अरुंथथियार समुदाय के नायक के रूप में पहचान बनाने वाले ओंडिवीरन पगडाई पर एक विशेष डाक टिकट हाल ही में उनके 251 वें स्मृति दिवस पर जारी किया यह टिकट 5 रूपए मूल्य वर्ग का होकर इस पर उनकी विशेष छवि को प्रदर्शित किया गया है।
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