बदनावर। भारत का स्वतंत्रता आंदोलन विश्व सर्वाधिक समय चले आन्दोलनो में से एक है। इस आंदोलन को संपूर्ण विश्व एक विशेष दृष्टि से देखता है क्योंकि इस आंदोलन में बहुत कुछ खास बातें थी जिसकी विश्व कल्पना भी नहीं कर सकता कि कोई आंदोलन बगैर डंडे या चरखे के बल पर लड़ा जा सकता है। इस आंदोलन में गरम दल और नरम दल दोनों का ही समावेश था परंतु विश्व के विद्वानों की दृष्टि में यह अहिंसात्मक आंदोलन अधिक रहा जिसकी पहचान महात्मा गांधी ने विश्व को करवाई। जिसका श्रेय गांधी जी के अहिंसक आंदोलन को दिया जाता।उक्त जानकारी देते हुए डाक टिकट संग्राहक ओम पाटोदी ने बताया कि गांधी जी की इसी अहिंसक छवि की वजह से ही आज वे एक ऐसे महापुरुष के रूप में हमारे सामने है जिन पर विश्व का कोई ऐसा देश नहीं होगा जिसने अपने यहां से उनके सम्मान में डाक टिकट जारी नहीं किया हो। भारत को छोड़ दें तो भी गांधी जी पर विदेशों में जारी डाक टिकटों की संख्या 300 से भी अधिक है जो अपने आप में एक कीर्तिमान है। पाटोदी ने बताया कि भारतीय डाक विभाग द्वारा शास्त्री जी पर भी सुंदर डाक टिकट जारी किया गया है। इसके साथ ही स्वतंत्रता संग्राम सेनानीयो पर भी सैकड़ों की संख्या में डाक टिकट व सिक्के जारी किए गए हैं, परन्तु आज भी ऐसे सैंकड़ों गुमनाम चेहरे हैं जिन्होंने आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई परन्तु वे आज भी हम लोग उनसे परिचित नहीं हैं। भारत की आज़ादी के इस अमृत महोत्सव वर्ष पर सरकार से यह अपेक्षा है कि वह उन्हें सम्मान देते हुए उन पर डाक टिकट सिक्के जारी करते हुए पाठ्यक्रमों में उनका परिचय दे ताकि हर भारतीय उनसे रूबरू हो सके।
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