बदनावर। अपने जीवन के जोहरी स्वयं ही बने क्या पता फिर ये मौका मिले ना मिले, समय की पहचान करे इसे व्यर्थ न गवाए। महासती श्री प्रेमलताजी म.सा. ने अपने जीवन को संयम यात्रा के द्वारा सार्थक बनाया। सभी लोग जीवन जीते है, संयमी भी संसारी भी किन्तु कला दोनो की न्यारी है, विरले व्रतधारी होते है जो धर्म के माध्यम से सब कुछ समर्पित कर देते है। उक्त बात समता भवन में विराजित आचार्य श्रीरामलालजी म.सा. के आज्ञानुवर्ती शासन दीपक श्री प्रकाश मुनिजी ने शासन दीपिका श्री प्रेमलताजी म.सा. के देवलोकगमन पर गुणानुवाद सभा मे कही।
आपने कहा संसार में निर्लिप्त रहना बड़ा कठिन है, निर्लिप्त कमल की भांति है ।निर्लिप्तता में बाधक तत्व है मैं और मेरा।हमें इस सत्य को जानना होगा। साधु जीवन मे क्षमा सत्य आदि दस धर्मो में रमना निर्लिप्तता प्रदान करती है।
गुणानुवाद सभा को श्री किशोर मुनिजी म.सा. ने भी संबोधित किया। श्री प्रेमलताजी म.सा. पिपलियामंडी में आकस्मिक देवलोकगमन हो गया। आपश्री का चातुर्मास 1999 में बदनावर भी हुआ था। प्रेमचंद व्होरा, वर्धमान स्था. जैन श्रावक संघ की ओर से उमरावमल चोपड़ा, किरण भडक्त्या ने भावांजलि दी। 4 लॉगस्स का ध्यान किया गया। संचालन विजय कुमार बाफना ने किया।
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