October 19, 2024

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वीर पुरूष राव जयमल राठौड़ कि 515 वीं जयंती पर डाक टिकट जारी हुआ

बदनावर। विश्व विख्यात वीर भूमि चित्तौड़गढ़ मेवाड़ का इतिहास गौरवमयी रहा है। इस गौरवशाली इतिहास के वीर पुरूष राव जयमल राठौड़ कि 515 वीं जन्म जयंती पर भारतीय डाक विभाग द्वारा एक विशेष डाक टिकट जारी किया गया। यह डाक टिकट पांच रुपए मुल्य वर्ग का होकर इस पर वीर राव जयमल राठौड़ का सुंदर चित्र प्रकाशित किया गया है। प्रथम दिवस आवरण पर चित्तौड़गढ़ के किले के साथ ही विजय स्तंभ/ कीर्ति स्तंभ प्रदर्शित किया गया है।उक्त जानकारी देते हुए डाक टिकट संग्राहक ओम पाटोदी ने बताया कि मेवाड़ कि इस पावन भूमि में आज भी मीरा की कृष्ण भक्ति के चरम के किस्से जीवंत है, वहीं वीर योद्धा महाराणा प्रताप का शौर्य और देश प्रेम की अलख जगाता है। यहां हजारों हजार वीरांगनाओं ने कई बार जौहर कर त्याग और बलिदान के उच्च आदर्श स्थापित किए हैं। पाटोदी ने बताया कि इस वीर भूमि पर दो स्तंभ विश्व विख्यात है पहला स्तंभ जिसे कीर्ति स्तंभ के नाम से जाना जाता है इसका निर्माण लगभग 12 वीं शताब्दी (1179-1191 ईस्वी) में बघेरवाल जैन बन्धु शाह जीजा व उनके पुत्र पुण्य सिंह ने करवाया था। सात मंजिला यह कीर्ति स्तंभ भारतीय शिल्प कला का अनूठा उदाहरण है। इसमें चारों ओर जैन तीर्थंकर श्री आदिनाथ भगवान कि चार मूर्तीयां उत्कीर्ण है। यह श्रमण संस्कृति का जयघोष करता प्रतीत होता है, वही लगभग 14वीं शताब्दी (1448 ईस्वी) में मेवाड़ के राजा राणा कुम्भा द्वारा निर्मित जय स्तंभ अखण्ड भारत का विजयघोष करता है। यह किला लगभग 6 किलोमीटर लम्बा और 1 किलोमीटर चौड़ा है। इसमें 7 विशाल द्वारा है। एतिहासिक, धार्मिक और राजनीतिक दृष्टि से भारत की अनुपम कृति है।इसी शौर्य भूमि पर ई.स. 1568 में बादशाह अकबर ने लाखों सैनिकों के साथ दिल्ली से कूच कर चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण कर दिया था। तत्कालीन समय में भक्त शिरोमणी मीराबाई के भाई और मेड़ताधीश राव जयमल को दुर्गाध्यक्ष मनोनीत किया गया था। विक्रम संवत 1624 चैत्र कृष्णा 11 को राव जयमल के नेतृत्व में अकबर के साथ भीषण युद्ध हुआ। इसमें राव जयमल हजारों योद्धाओं के साथ बलिदान हो गए थे। इस वीर सपुत ने देश के लिए अपना जीवन समर्पित कर देश का मान बढ़ाया है। डाक टिकट जारी होने पर डाक टिकट संग्राहकों ने हर्ष व्यक्त किया।

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