ग्वालियर-चंबल क्षेत्र का वजन बढ़ा
केंद्रीय मंत्रीमंडल में हुए फेरबदल और विस्तार मे मध्य प्रदेश के मालवा निमाड़ क्षेत्र की अनदेखी की गई | मालवा निमाड़ क्षेत्र ने भाजपा को 8 की 8 लोकसभा सिट दी जिसके के बाद भी क्षेत्र को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं मिला। भाजपा का मजबूत गढ़ माने जाने वाला मालवा क्षेत्र आज बेहद कमजोर पड़ा है ग्वालियर-चंबल क्षेत्र से आने वाले नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया केंद्र में कैबिनेट मंत्री हैं। वहीं प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा भी इसी क्षेत्र से हैं जिससे ग्वालियर-चंबल क्षेत्र का वजन ज्यादा बढ़ गया है। मध्य प्रदेश की राजनीति में केंद्र से लेकर राज्य तक मालवा क्षेत्र शुरू से ही काफी प्रभावी रहा है, लेकिन इन दिनों क्षेत्र का दबदबा कम हो गया है। इसकी तुलना में मध्य भारत, ग्वालियर-चंबल व बुंदेलखंड क्षेत्र को काफी अहमियत मिली हुई है। थावरचंद गहलोत के केंद्र सरकार से हटने के बाद केंद्र सरकार में मालवा का प्रतिनिधित्व समाप्त हो गया है। प्रदेश भाजपा के शीर्ष नेतृत्व में भी मालवा नहीं है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मध्य भारत से हैं जबकि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वी डी शर्मा ग्वालियर चंबल संभाग से आते हैं। साथ ही वह बुंदेलखंड से सांसद हैं।मालवा से भाजपा के एकमात्र बड़े चेहरे कैलाश विजयवर्गीय वैसे तो राष्ट्रीय महासचिव हैं, लेकिन पार्टी ने उनको संसद में नहीं भेजा है। मालवा क्षेत्र से बीते कई सालों से भाजपा के दो बड़े चेहरे सुमित्रा महाजन और थावरचंद गहलोत रहे है। महाजन तो पिछली लोकसभा की अध्यक्ष भी थीं। थावरचंद गहलोत बीते सात साल से केंद्र सरकार में मंत्री, भाजपा संसदीय बोर्ड के सदस्य और मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में राज्यसभा में सदन के नेता भी थे। महाजन सक्रिय राजनीति से बाहर हैं, जबकि थावरचंद गहलोत राज्यपाल बना दिए गए हैं।
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