बदनावर। धर्ममय वातावरण से परिपूर्ण ग्राम चिराखान के बाबा रामदेव मंदिर एवं शिव मंदिर परिसर में सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। इसमें श्यामलता दीदी मधुर धुन में संगीतमय कथा का श्रवण श्रद्धालुओं की करा रहे है। कथा के चौथे दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। महिलाएँ एवं पुरुष पिले वस्त्र धारण कर कथा श्रवण करने पहुंचे। जन्मोत्सव में एक नन्हें से बालक को कृष्ण रूप में सजाकर नंदबाबा बने श्रद्धालु अपने सिर पर टोकरी में बिठा कर लाए। कृष्ण जन्म के प्रसंग शुरू होते ही पंडाल में मौजूद श्रद्धालु “नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैयालाल” की भजनों के साथ झूम उठे। वहीं श्रद्धालुओं ने आतिशबाजी कर माखन मिश्री का भोग लगाकर प्रसादी वितरित की। श्रद्धालुओं द्वारा संपूर्ण पंडाल को रंग बिरंगे गुब्बारे, आम व केले के पत्तों आदि से सजाया गया एवं मटकी फोड़ी गई। श्रद्धालुओं ने एक दूसरे को हल्दी के छापे व रंग गुलाल लगाया।
ज्ञान रुपी अंकुश से मन को वश में किया जा सकता है
कथा वाचिका श्यामलता दीदी ने कहा कि जिस तरह हाथी को वश में करने के लिए अंकुश की आवश्यकता होती है। उसी तरह मन रुपी हाथी को वश में करने के लिए ज्ञान रुपी अंकुश की आवश्यकता होती है।
उन्होंने आगे कहा कि गंगाजल को यदि हम एक बर्तन में भरकर रख दे फिर भी वही कई वर्षों तक पवित्र होता है। जब कि गंगा मे कई मुर्दे, गंदी नालियों का पानी मिलता है फिर भी वह पवित्र होता है और यदि मनुष्य की जिन्दगी में कुछ भी हो जाए तो वो अपवित्र हो जाता है। संतान को भागीरथ की तरह होना चाहिए। जो अपने माता पिता सहित परिवार का उद्धार कर सके। श्री मद्भागवत महापुराण में मुख्य यजमान श्याम जायसवाल दंपत्ति द्वारा आरती का लाभ लिया गया। महा प्रसादी के लाभार्थी अर्जुनसिंह दरबार रहे। आयोजन में गांव सहित आसपास क्षेत्र के सैकड़ों श्रद्धालु कथा का रसपान कर रहे हैं। मंदिर में पूजा अर्चना एवं दर्शन की व्यवस्था पंडित सुरेशचंद्र शर्मा द्वारा की जा रही है।
विभिन्न प्रसंग सुनकर मंत्र मुग्ध हो गए श्रद्धालु
कथा वाचिक दीदी ने कृष्ण जन्मोत्सव के पूर्व भगवान राम के अवतार की लीला का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान राम ने प्रेरणादायी आदर्श स्थापित किया है। वह आज भी प्रासंगिक है। राम जन्म, ताड़का वध, राम विवाह, विवाह वनवास, रावण वध सहित राम राज्य विषय पर सुंदर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि द्वापर में जब कंस के अत्याचार बढ़े तो श्रीकृष्ण ने अवतार लेकर मुक्ति दिलाई। ऐसे विभिन्न प्रसंग सुनकर श्रद्धालु मंत्र मुग्ध हो गए। कथा में श्रद्धालुओं द्वारा प्रतिदिन श्रोताओं को पानी पिलाने की सेवा सेवादारों द्वारा दी जा रही है। वहीं श्रद्धालुओं द्वारा प्रतिदिन पूरे पांडल की साफ-सफाई व गोबर का लेपन किया जा रहा है। जिससे सभी को प्रेरणा मिलती है। वहीं दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुओं को ठहरने एवं भोजन की उत्तम व्यवस्था भी की जा रही है।
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