April 25, 2024

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धर्म के मर्म को समझना बड़ा कठिन भी है ,तो सरल भी है । यदि हम सुनकर श्रद्धा रख कर उस पर चलते हैं तो हम धर्म के मर्म को समझ सकते हैं -श्री प्रकाश मुनि

बदनावर।धर्म के मर्म को समझना बड़ा कठिन भी है ,तो सरल भी है । यदि हम सुनकर श्रद्धा रख कर उस पर चलते हैं तो हम धर्म के मर्म को समझ सकते हैं । उक्त विचार समता भवन में आचार्य श्री रामलाल जी महाराज साहब के शिष्य श्री प्रकाश मुनि  जी महाराज साहब ने व्यक्त किए ।

आपने कहा कि प्रभु ने हमें साधना का मार्ग बताया है हमें उस पर चलकर अपने आप को सुरक्षित करना चाहिए ‌। हम जब तक धर्म को साधना का रूप नहीं देंगे, जीवन में नहीं उतारेंगे तब तक हमारा उद्धार संभव नहीं है । और हम आशा तो मोक्ष की करते हैं लेकिन उस मार्ग पर चलने का प्रयास नहीं करते ।

श्री किशोर मुनि जी महाराज साहब ने कहा कि धन-संपत्ति, रूप- लावण्य और ज्ञान अहंकार को कारण नष्ट करने वाले हैं, व्यक्ति के मान सम्मान में कमी आना शुरू हो जाती है मनुष्य को सदैव समान रूप से वितरण करना चाहिए ‌। सुख-दुख, अमीरी -गरीबी, मान-सम्मान सब आते जाते हैं यदि हमें सुनने की क्षमता है तो हमारा अहंकार धीरे धीरे चला जाता है विनम्रता विवेक हमारे अंदर प्रवेश करते चले जाते हैं अंकारी मनुष्य हमेशा दूसरों को तुच्छ समझता है।

हमारी बुद्धि अस्त व्यस्त रहती है हमने कभी भी अपने ज्ञान के विस्तार की ओर ध्यान नहीं दिया हमने जो ज्ञान पड़ा यदि उसे बार-बार स्मरण नहीं किया तो ज्ञान चला जाएगा ज्ञान को जीवन में आचरण में लाने का प्रयास करें ।

धर्म सभा का संचालन मंत्री अनिल लुनिया द्वारा किया गया ।

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